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發佈者 Rohi_kumari
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मैंने अपनी दोनों टांगे फैला दीं. उन्होंने मेरे पेटी कोट को उपर किया और अपनी नाक मेरी गुफा में घुसा दिया.
अब मैं और भी ज्यादा मस्त हो गई. नशे में ज्यादा रहने के कारण मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा था.
बस में मस्ती में पागल हो गई थी. ससुर जी ने अपना आजार निकाला और मेरी गुफा पर चिपका और जोर से उन्होंने घुसा दिया.
मेरा नाम सूशमा है. मेरी उम्र 28 साल है. अभी तक कोई बच्चा नहीं है.
दो साल हो गए शादी होने के मेरे घर में मैं, मेरे पती और मेरे ससुर, मेरे ससुर पहलवान किस्म के आदमी हैं. अभी भी उनका शरीर गठीला और चुस्त दुरुस्त है. बाब, बेटा एक जैसे लगते हैं.
कल रात मेरे से गल्ती हो गई और मैं पाती के बजाए अपने ससुर से ही पूरी रात आग में धधधखती रही और गर्माहट को शांत करवाती रही. और सबसे बढ़ी बात तो ये है कि मेरे ससुर ने कभी यह नहीं कहा कि बहु तुम गल्ती कर रही हो. मैं पापा जी हूँ
ऐसा उन्होंने नहीं कहा और पूरी रात उन्होंने मेरी धुकाई की और मैं भी उनसे धुकवाती रही.
एक दिन की बात है, होली का दिन था. मेरे पती और उनके दोस्तों ने जम कर शराब पी और यह सिलसिला रात के आठ बजे तक चला.
रंग खेलते खेलते, बीच-बीच में शराब सब लोग पी रहे थे. मैं भी अपने मन को रोक नहीं पाया और मैं भी उन लोगों के साथ ही शराब पी ली और मैं सीधे लड़ खदःते हुए, अपने पल्लू को ठीक करते हुए, सीधे ससुर जी के कमरे में ही घुस गई.
तो तुमने खुशी मुझे कर दिया. खूब मिला है सुबह से लेकर शाम तक पाती हो, तो तुम्हारे जैसा आज. मैं बहुत खुश हूँ तुम्हारे जैसा पती पाकर. दोस्तों में इतनी पागल हो गई थी शराब पी करके. मुझे पता ही नहीं चला कि पाती नहीं बलक
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