Sister-in-law's story

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發佈者 Storysuno

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हम सब उन्हें खुश रखनी की पूरी कोशिश करते थे।

मैंने भी उन्हें से दोस्ती की ता कि वे मुझे अपना फ्रेंड समझ कर अपनी फीलिंग्स मुझसे साज़ा करें।

मेरे मन में उस समय तक भाभी जी के लिए कोई गलद भाव या विचार नहीं थे।

मैंने नोटिस किया था कि भाभी जी बहुत अकेलापन महसूस करती हैं तो मैं उन्हें से मजाक मस्ती करने लगा था।

भाभी जी भी धीरे धीरे सामान्य होने लगी थी।

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अब हाल ये हो गया था कि मैं उन्हें मजाक में इधर उधर टच भी कर देता था तो वे बोरा नहीं मानती थी।

एक दिन मैं उनके कमरे में टीवी देख रहा था और मुझे नीन आने लगी तो मैं वही सो गया।

भाभी ने भी मुझे नहीं उठाया और वे भी मेरे साथ ही लेड़ गई।

नीन में होने के कारण मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसका मुझे पता भी नहीं चला था।

अचानक से मैंने करवट ली तो भाभी जी मेरी बाहों में आ गई जिसकी वज़र से मेरा लंड उनकी गाँड में घुस गया।

भाभी की गाँड की गर्मी से मुझे अच्छा महसूस होने लगा।

फिर जैसे ही मेरी नींद तूटी और मैंने देखा की भाभी जी मेरी बाहों में हैं तो मैं सक्का गया।

मैंने उस टाइम तो कोई रियक्शन नहीं किया वैसे ही लेटा रहा पर मुझे बड़ा अजीब सा भी महसूस हो रहा था और अच्छा भी लग रहा था।

मैं कुछी देर में अपना सन्यम खो बैठा और मैंने कुछ सोचते हुए आगे की और एक धक्का मारा। इससे मेरा लंड सलवार के उपर से ही उनकी गाण की दरार में अंदर को घुज गया। उसी वक्त भाभी जी के मूँशे आहन निकल गयी। मैं डर गया और वैसे ही ध

जागने लगी थी। कुछ टाइम बाद वे वहाँ से उठ कर चली गई और मैं भी कुछ देर बाद उनके बिस्तर से उठ कर चला गया।

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