Put land in the dirt
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發佈者 Team_scare
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मेरा राम परुल है, मैं गाउं का रहने वाला हूँ।
यह उन दिनों की बात है, जब मैं पढ़ाई के सिलसले में दिल्ली में रहने लगा था।
हम तो दो लोग के एक मकान में रहते थे।
मकान मालिक हमारे उपर ही रहते थे।
मकान मालिक से हमारे तालूग शुरु शुर में इतने अच्छे नहीं थे।
मगर एक दो बात ऐसी हुई, जिसमें परिशानी में हम लोगों ने
मकान मालिक की मदद करवा दी थी।
इस तरह से धीरे धीरे मकान मालिक भी हमसे नरम रवया रखने लगे।
जो बात में एक दूसरे से उठने बैटने में बदल गया।
अब हमें एक दूसरे से जरूरत की हर चीज ले रहते थे।
जिसमें सबसे यादा एहम चीज इस्तरी थी।
टकरीबन 35 साल अब मकान मालिक का नाम सुनील था।
और वो एक सरकारी नौकरे करता था।
उसकी अउलाद में एक जवान बेटी राधा और दो छोटे बेटे शामिल थे।
इसके लावा उसकी पत्नी थी जो बिचारी किसी वज़े से दोनों आखों से अंधी थी।
उसकी बेटी बारवी पास कर चुकी थी और दोनों बेटे अबी स्कूल में पढ़ रहे थे।
मेरे कमरे का साथी भी मेरी तरह एक प्राविट जॉब करता था।
सारा काम करने की बात एक दिन हमारा होता था और वे दिन होता था इतवार का।
इतवार के दिन हम दोनों लेट उठने के आधी थे।
12 से 1 बज़े तक हम तयार होकर बाहर घूमने फिरने चले जाते।
मकान मालिक भी हमारी इस आदध को समझ चुके थे क्योंकि इतवार के दिन हमारी कमरे को अकसर ताला लगा रहता था।
एक इतवार मेरे कमरे के साथी को अपने गाउं जाना था।
उसके जाने के बाद में कमरे में ही लेटा रहा।
उस दिन गर्मी भी बहुत बढ़ गई थी।
मैंने फूल स्पीट में पंका चलाय हुआ था और आखे मूंदे लेटा हुआ था।
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