Mast Non Veg Shayari

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हस्तिनी नारी एक कामो काव्य आप सभी जानते हैं कि कामसूत्र में जो हमारे भारतिये कामसूत्र है उसके सबसे जो टॉप लेवल का अरत होता है उसे कहते हैं हस्तिनी उसे के उपर ये काव्य परिवेशन कर रहा हूं।

उम्हीरे आपको पसंद आएगी पसंद आएँ तो लाइक जरूर कीजिए शुरू करता हूं।

हस्तिनी नारी तेरी चाल मदमस्त हस्तिनी सी हरले में बहे गीत रस भरी सी नयन कटाक्श जैसे बिजलिया गिराएं अंग अंग से प्रेम सुधा बरसार।

भरे योवन का मादक आलिंगन हर मोड पे मधुरिमा का निमंत्रन कमर की लहर में सागर का ज्वार हातों की चुवन में अगनी अपार।

तेरी बाहें कंचन की बेल सी लिपड़ती सांसों में मद अधनों से सुधा टपकती आया है।

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कुन्तल घनेरी चाओं में चिपा एक जादू जो छूले वो हो जाए मधुरूं गंध में वायू।

तेरी उरज सगन प्रेम की जिल जिसमें डूवे वो हो जाए नी। शीतल श्पर्श में ज्वाला की आंच तेरी गंध से बहके हर एक सांस।

कामिनी तेरा स्वरुफ अलंकार है। हर भाव में शिरिंगार है।

तेरी मादखता का ग्रंथ स्वेंग लिखा है लिखा हस्तिनी नारी तू स्वेंभी कामसुत्र की शुरुष्टी की लचाईता।

तेरी चाल में मदभरी मस्ती हर लय में धड़कन की खशीष बस्ती। मृदु कटक्शों की जादोगरी है तू। कर दे मन को बावरा किसी और कितर है।

एक बार फिर से ग़र फर्माएए पूरी तरीके से तेरी चाल में मदभरी मस्ती हर लय में धड़कन की खशीष बस्ती। मृदु कटक्शों की जादोगरी है तू। कर दे मन को बावरा किसी।

कमर लहराए जी हाँ कमर को ऐसे लहराए जैसे नागिन वल्खाए कमर लहराए जैसे नागिन वल्खाए हर अंग तेरा मोहो जाल विचाए मोहो जाल विचाए। तेरी छुवन में चांदनी की नर्मी है तेरी छुवन में चांदनी की नर्मी है तेरी गंद में चमपा की कोम

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