Jab ghar par koi nahi tha to bhaiya ne mujhe kai choda
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Jab ghar par koi nahi tha to bhaiya ne mujhe kai bar choda
發佈者 YourAlia
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मेरी सत्रह साल की बेटी छुट्टियों में हॉस्टल से घर आई थी, लेकिन घर आने के बाद से वह अपने पिता के बेड्रूम में ही सोने लगी थी.
हर रोज आधी रात को उनके कमरे से उसकी चीखों की अलग-अलग आवाजें आती थी.
एक दिन जब मैंने आधी रात को उसके कमरे में जहांका, तो उसके मुँख के पास उसके बाबा को देखकर मेरे होष उड़ गए, क्योंकि उसके बाबा की,
हैलो दोस्तों, आज की इस कहानी में आप सभी का स्वागत है, मेरा नाम सरोजनी है, मैं शादी शुदा हूँ.
मेरे पती और मैं, मेरे घर में केवल दो ही लोग रहा करते थे. हम दोनों चाहते थे कि हमारी बेटी पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करें.
तारा हमारी इकलोती बेटी थी. मेरी सत्रह साल की बेटी तारा, घर से बाहर हॉस्टल रहकर, शहर में पढ़ रही थी.
गर्मी की छुट्टियों में जब वह कुछ दिनों के लिए घर आई थी, तब उसने अभी बारहवी पास की थी. हमने उसे पढ़ने के लिए दूसरे शहर भेज दिया था.
तारा आज लगभग साल भर बाद घर आई थी. जैसे ही तारा घर आई, तो मैं उसे देखती ही रह गई. क्योंकि तारा जो पहले पतली थी, अब शरीर से बहुत मजबूत हो गई थी.
मैंने सुना था कि हॉस्टल में रहने से बच्चों की तबियत खराब हो जाती है, लेकिन तारा इसके विपरीद थी. उनके स्वास्थे में सुधार दिख रहा था. मैंने मुष्कुरा कर अपनी बेटी का स्वागत किया. मैंने उससे कहा, तारा बेटी, तुम्हारी सेहत मे
बहुत सुधार हो गया है. लग रहा है, हॉस्टल में खाना अच्छा मिल रहा है.
उसने तुरंद कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मा. आप मुझे बहुत दिनों बाद देख रही हैं,
तो इसलिए ऐसा लग रहा है.
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