Indian village hot young desi girlfriend comes from school and meets her boyfriend.
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發佈者 Your_Zainab
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मेरी शादी को आठ साल बीठ गए थे।
परिवार में दो बेटियां,
किरन और गुड़िया के अलावा पती राकेश था।
जो सीधा और थोड़ा कम आक्र था।
राकेश मरियल देह का महनती इंसान था।
घर के सामने हमने एक धाबा खोल रखा था।
राकेश का धाबे पर सुभाँ से राथ तक डट कर,
मेहनत से R0-2 कमाना,
और बीवी बच्चों का पेट भरना ही उसकी जिन्दिगी का मकसथ था।
जब कभी बारिश के दिनों में ताल तलया में मचलियां भर जाती,
तब राकेश की जीब लाल से लाड टपकने लगती थी,
और वह जाल लेकर मचली पकडने दोस्तों के साथ घर से निकल पड़ता था।
गाओं में मस्दूरी ना मिलने पर,
वह कई बार दिहारी मस्दूरी करने,
आसपास के शहर में भी चला जाता था।
एक बार मूसला धर बारिश से मेरे गाओं से आगे,
दो मील दूर भैठी नदी चढ़ाई थी।
सारे ट्रक नदी के दोनों तरफ रुक गय थे।
तकरीबन एक मील लंबा रास्ता, ट्रकों से जाम हो गया था।
तब न कोई ट्रक आता था, न जाता था।
सड़क संसान पड़ी थी, इस कारण मेरा धाबा पूरी तरह से ठप हो चुका था।
मैं रोज सवेरे ग्राहक के इंतजार में पलक पावडे बिचा कर बैठ जाती,
और एक एक करके चार दिन निकल गय, और एक भी ग्राहक नफर का था।
बोहनी तो हुई ही नहीं, उल्टे गांठ के पैसे और निकल गय थे।
ऐसे में मैं एक आर्जू पॉंट जीरो वन के लिए मुहताज हो गय थी।
मैं मन ही मन खुद पर बरस थी, कि चौमा से कभी इंतजाम नहीं किया।
उधर राकेश भी दस दिनों से कायब था।
पटाके आता है और उसे बेकार ही जख जोर कर आग लगाता है।
खुद तो पटाके की तरफ फुस हो जाता है और वो राद दिन भीतर ही भीतर सुलकती रहती है।
कभी कभी तो राकेश खुद ही कह देता है कि रेखा अब मुझ में पहले वाली जान नहीं रही तो तलाश ली।
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