hindi cartoon kahani
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moral hindi cartoon kahani
發佈者 SecondaryRide15
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रामगंज गाउं में हरकम पे मचा हुआ था। गाउ की उस नदी में जहाँ पर सिर्फ औरतों को जाने के एजाज़त थी। उस नदी में एक लड़की जिसका नाम सपना था। उसकी तैरती हुई लास मिली थी।
मुख्या लामभेन समेध गाउं की कई लोग नदी के पास खड़े थे। सबकी चहरे पर उदासी के साथ साथ एक प्रस्रिच चिन भी था। और वो प्रश्न था कि सपना ने आत्महत्या की है या उसे मारा गया है। सपना की पिताजी और माँ का तो लोरो कर बुरा हाल था।
अरे किसने मार दिया रे मेरी बच्चे को। इसने किसी का क्या भिगाडा था जो इससे मार दिया।
अरे हिम्मत रखो मैं तुम लोगों का दर्व समझता हूं लेकिन होनी को कौन टाल सकता है।
रामधीन ने ये बात कहने में तो कह दी कि होनी को कौन टाल सकता है।
लेकिन मुख्या जी की बात घीता, सन्या और रजनी को बिल्कुल समझ नहीं आ रही थी। सपना उन लोगों की पत्ती सहेली थी। इसे किसने मार दिया। ये सवाल उन लोगों की जहन में भी था।
मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि सपना हमें हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई है। मुझे बहुत दुख हो रहा है। उसे ऐसे नहीं जाना चाहिए। अरे वो बहुत साहसी थी। और वैसे भी उसने क्या किया था? सारी गल्ती तो आनन्द की है। सन्ध्या, �
क्या हमें गाउवालों को आनन्द की सच्चाई बता देनी चाहिए।
आनन्द गाउं के मुख्याजी के बेटे संतोस का दोस्त था,
जो कुछ दिन पहले गाउ भूमने आया था।
एक माइने पहले की बात है, मुख्याजी का बेटा इस्टेशन पर खड़ा,
सहर से आने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा था।
उस दिर्बाड ट्रेन आयी और उससे आनन्द उतरा।
सहर में वो आनन्द और दोनों एक साथ ही पढ़ते थे।
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