3-with brother-in-law my husband
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लेकिन दामाद जी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
उन्होंने मुझे जो भी चाहिय था, वो दिला दिया।
उनके व्यवहार से कभी-कभी ऐसा लगता था
जैसे वह मेरा दिल जीतने की कोशिश कर रहे हो।
उस रात मैंने मॉल से खरीदा हुआ नाइट ड्रेस पहना हुआ था।
मुझे उस ड्रेस में देखकर, दामाद जी मेरी तरफ देखते ही रह गए और कहा,
सासु जी, आप तो बहुत सुन्दर लग रही हो।
उस रात भी वह मेरे साथ, मेरे कमरे में सोय थे।
आधिरात को अन्जाने में, मैंने अपनी जगह बदल कर, उनसे सट कर सो गई।
सुभाँ जब मेरी आँग खुली तो मैं उनके बहुत करीब थी।
मैं तुरंट उठकर दूर हो गई और अपने काम में लग गई।
आज भी उनोंने छुट्टी ली थी।
नाश्टा करने के बाद, मैं किचन में बर्तन साफ करने लगी।
अचानक, वहां मेरे पीछे आ गए और मेरे पेट में छुट्की काट ली।
उनके छूने से मैं हिल गई और संतुलन खो बैठी, जिससे मैं उनके उपर गिर गई।
किचन में हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे और मेरे हाथ का ज्जाग उनके चहरे पर लग गया था।
यहां देख मैं हंसने लगी।
उनोंने भी मुझे प्यार भरी नजरों से देखा और हंस पड़े।
मैंने उनसे पूछा, तुमने छुटकी क्यों काटी? उनोंने कहा, आपके पेट पर चीनती थी, उसे हटाने की कोशिश कर रहा था।
फिर उनोंने मेरे हाथ का ज्जाग अपने चहरे पर लगा लिया और हम दोनों हंसने लगे।
धीरे धीरे उनोंने मुझे पीछे से गले लगा लिया और हमारे बीच की मर्यादा भूलने लगे। कुछ गलत होने से पहले ही हम दोनों दूर हो गये।
उस दिन मेरे दिमाग में उनकी यादे च्छाई रहीं। मुझे महसूस हुआ कि वहां मेरी परवाह कर रहे थे, जबकी मेरे पती अकसर मुझे नजर अंदाज करते थे।
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